इन डॉक्यूमेंट्स को देखे बिना प्रॉपर्टी खरीदी तो पछताना पक्का – Legal Property Documents

Legal Property Documents – आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदना किसी भी इंसान के लिए बड़ा फैसला होता है। इसमें न सिर्फ आपकी सालों की कमाई लगती है, बल्कि आपका भविष्य भी काफी हद तक इसी पर टिका होता है। बढ़ती कीमतों और बाजार में हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए, अब किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले पूरी सतर्कता बरतना बहुत जरूरी हो गया है।

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कई बार लोग बिना जांच-पड़ताल किए प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं और बाद में उन्हें फर्जी पेपर्स, डुप्लीकेट रजिस्ट्री या कब्जे जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही भी आपको आर्थिक नुकसान और कानूनी झंझट में डाल सकती है। इसलिए जब भी आप कोई जमीन या मकान खरीदने का सोचें, तो उससे जुड़े जरूरी कागजात ध्यान से जांच लें। ये दस्तावेज न सिर्फ आपकी खरीद को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि आगे किसी भी तरह की परेशानी से भी बचाते हैं।

Legal Documents Overview Table

डॉक्यूमेंट के नाम उपयोगिता
सेल डीड (Sale Deed) प्रॉपर्टी बिक्री अथवा ट्रांसफर का कानूनी कागज
टाइटल डीड (Title Deed) प्रॉपर्टी के असली मालिक की पहचान बताता है
नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) किसी विभाग/संस्था को प्रॉपर्टी पर कोई आपत्ति नहीं
खाता सर्टिफिकेट (Khata Certificate) यह बताता है कि क्या लोकल रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी दर्ज है
पॉवर ऑफ अटॉर्नी (POA) मलिक द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को अधिकार
एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate) प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, लोन या कानूनी विवाद तो नहीं
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) कानूनी तरीके से प्रॉपर्टी में रहना उचित है या नहीं
बिल्डिंग अप्रूवल प्लान (BAP) प्रॉपर्टी पर किया गया निर्माण वैध है या नहीं
कॉम्प्लिटेशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) प्रॉपर्टी पर निर्माण पूरा है या नहीं
रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) प्रॉपर्टी रेरा रजिस्टर्ड है या नहीं

प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आवश्यक दस्तावेज

1. सेल डीड (Sale Deed)

जब आप कोई प्रॉपर्टी (जमीन या मकान) खरीदते हैं, तो सेल डीड वह कानूनी दस्तावेज होता है जो ये साबित करता है कि बेचने वाले ने संपत्ति आपको बेची है और अब वो आपकी हो गई है। यह कानूनी कागज इस बात का सबूत होता है कि आपने प्रॉपर्टी खरीदी है और आप अब उसके मालिक हैं।

इस दस्तावेज में प्रॉपर्टी से जुड़ी निम्नलिखित जानकारी होती है:

  • प्रॉपर्टी खरीदने और बचने वाले की डिटेल
  • प्रॉपर्टी का दायरा और विवरण
  • प्रॉपर्टी की कीमत
  • पैसों का लेन-देन आदि

2. टाइटल डीड (Title Deed)

यह सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है, जो यह बताता है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है इसमें प्रॉपर्टी की सारी हिस्ट्री यानी अभी तक ये प्रॉपर्टी किन-किन लोगों के नाम पर रही आदि जानकारी लिखी होती है। बिना टाइटल डीड क्लियर करे प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं होता।

3. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)

प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते वक्त NOC लेना जरूरी होता है इससे यह तह होता है कि किसी विभाग को उस प्रॉपर्टी पर कोई आपत्ति नहीं है। बिजली विभाग, जल विभाग और नगर निगम आदि से आप NOC प्राप्त करें। बिना NOC अपको प्रॉपर्टी ट्रांसफर में दिक्कत आ सकती है।

4. खाता सर्टिफिकेट (Khata Certificate)

यह राजस्व विभाग से जुडा दस्तावेज होता है जो प्रॉपर्टी की डिटेल्स, मालिक का नाम, लोकेशन और क्षेत्रफल जैसी जानकारी देता है। यह लोकल म्युनिसिपलिटी से मिलता है और प्रॉपर्टी टैक्स भरने, लोन लेने और ट्रांसफर के लिए जरूरी होता है। बिना खाता सर्टिफिकेट के प्रॉपर्टी की वैधता पर सवाल उठ सकता है, और बिजली-पानी जैसी सरकारी सुविधाएं लेने में भी परेशानी हो सकती है।

5.पॉवर ऑफ अटॉर्नी (POA)

यह एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसके ज़रिए मालिक किसी अन्य व्यक्ति को अपनी जगह प्रॉपर्टी से जुड़े काम करने का अधिकार देता है, जैसे खरीदना-बेचना, रजिस्ट्री या दस्तावेजों पर साइन करना। यह तब ज़रूरी होता है जब मालिक खुद मौजूद न हो — जैसे कि NRI केस, बीमारी, या किसी और कारण से। इसे रजिस्टर्ड और नोटराइज कराना जरूरी होता है।

6.एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate)

एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट यह साबित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, बकाया, गिरवी या कानूनी विवाद नहीं है। यह सर्टिफिकेट जितना क्लीन होगा, सौदा उतना ही सुरक्षित माना जाएगा। EC आमतौर पर पिछले 30 साल तक की जानकारी देता है और इसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से लिया जाता है।

7. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC)

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट स्थानीय नगर निगम द्वारा जारी किया जाने वाला दस्तावेज होता है, जो यह साबित करता है कि इमारत सभी नियमों का पालन करते हुए बनाई गई है और अब रहने या उपयोग के लिए सुरक्षित है। यह सर्टिफिकेट बिल्डर से लेना जरूरी होता है, खासकर जब आप नई प्रॉपर्टी या फ्लैट खरीद रहे हों। इसके बिना बिजली, पानी जैसी सुविधाएं लेने में दिक्कत आ सकती है।

8.बिल्डिंग अप्रूवल प्लान (BAP)

यह दस्तावेज मकान, फ्लैट या बिल्डिंग बनाने से पहले विकास प्राधिकरण बोर्ड से पास कराना जरूरी होता है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण वैध तरीके से हो रहा है और भविष्य में उसे अवैध घोषित कर गिराने जैसी नौबत न आए। बिना अप्रूव्ड प्लान के प्रॉपर्टी खरीदना जोखिम भरा हो सकता है।

9. कॉम्प्लिटेशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate)

यह प्रमाणपत्र इस बात का सबूत होता है कि प्रॉपर्टी पर वैध रूप से निर्माण कार्य पूरा किया गया है यह लोकल अथॉरिटी द्वारा दिया जाता है। प्रॉपर्टी खरीदते वक्त इसकी जांच जरूर करें।

10. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA)

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी एक्ट 2016 को सरकार ने प्रॉपर्टी खरीददारों की सुरक्षा हेतु लागू किया। यदि प्रॉपर्टी या मकान रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है, तो बाद में कानूनी कार्यवाही में दिक्कत आ सकती है इसलिए रेरा प्रमाणपत्र की जांच करते समय यह सुनिश्चित करें कि प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर वैध है और रेरा की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है।

प्रॉपर्टी खरीदते समय इन बातों का जरूर ध्यान रखें

  • सबसे पहले सभी प्रॉपर्टी के पक्के डॉक्यूमेंट्स की जांच करें।
  • प्रॉपर्टी का वेरिफिकेशन अवश्य कराएं।
  • जांच करें कि प्रॉपर्टी पर कोई भी बकाया, लोन या कानूनी विवाद तो नहीं है।
  • सेल डीड जरूर बनवाएं।
  • किसी वकील व कानूनी सलाहकार से सलाह जरूर लें।
  • प्रॉपर्टी के सभी दस्तावेज (पेमेंट प्रूफ, रसीद) आदि संभालकर रखे।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। प्रॉपर्टी से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी योग्य कानूनी सलाहकार या संबंधित विभाग से सलाह जरूर लें। यहां दी गई जानकारी सूचनात्मक है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में न लिया जाए।

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