Registry के अलावा भी जरूरी हैं कई Documents, तभी मिलती है Property Ownership

इंडिया में जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदता है या बेचता है, तो वो सोचता है कि रजिस्ट्री करवा ली मतलब मालिक बन गए। यही बात ज़्यादातर लोग मानते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि प्रॉपर्टी का असली मालिकाना हक सिर्फ रजिस्ट्री (Sale Deed) से नहीं मिलता। इसके लिए कुछ और ज़रूरी दस्तावेज़ भी होते हैं, जिनकी जानकारी बहुत कम लोगों को होती है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

मान लीजिए आपके पास सिर्फ रजिस्ट्री है, लेकिन बाकी ज़रूरी पेपर नहीं हैं तो कल को अगर लोन लेना पड़े, संपत्ति बेचना हो या उसमें कोई विवाद आ जाए, तो आपको बड़ी परेशानी हो सकती है। इसलिए हर प्रॉपर्टी खरीदने वाले या मालिक को ये समझना जरूरी है कि रजिस्ट्री के अलावा भी कई कागज हैं जो प्रॉपर्टी ओनरशिप साबित करने के लिए बेहद जरूरी होते हैं।

आजकल की तारीख में फर्जीवाड़े, डुप्लिकेट पेपर्स, पुराने लोन और लीगल क्लेम जैसी दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में अगर आपके पास सारे सही और पूरे डॉक्युमेंट्स नहीं हैं, तो आपकी प्रॉपर्टी पर कानूनी खतरा भी हो सकता है। इसीलिए, कागज पूरे और पक्के रखना ही सबसे समझदारी भरा कदम है।

हर राज्य और शहर में जरूर अलग-अलग नियम हो सकते हैं, लेकिन कुछ बेसिक डॉक्युमेंट्स पूरे भारत में जरूरी माने जाते हैं। इस लेख में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक बनने के लिए आपको कौन-कौन से कागज रखने चाहिए और सिर्फ रजिस्ट्री से क्यों काम नहीं चलता।

सिर्फ रजिस्ट्री करवाना क्यों काफी नहीं है?

अकसर लोग यही मानते हैं कि अगर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Sale Deed) हो गई, तो अब वो जमीन या मकान उनके नाम हो गया। लेकिन असल में रजिस्ट्री सिर्फ एक लीगल प्रोसेस होती है, जिससे बस ये रिकॉर्ड होता है कि प्रॉपर्टी किससे किसके नाम ट्रांसफर हुई है।

अब सवाल उठता है  क्या इससे आप मालिक बन जाते हैं? नहीं। मालिकाना हक साबित करने के लिए आपको और भी दस्तावेज रखने पड़ते हैं। जैसे टाइटल डीड, म्युटेशन सर्टिफिकेट, टैक्स की रसीदें, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट वगैरह।

अगर इनमें से कोई भी जरूरी कागज अधूरा है या गायब है, तो कल को लोन लेते वक्त, प्रॉपर्टी बेचते समय या किसी लीगल केस में आपको परेशानी हो सकती है। इसलिए सिर्फ रजिस्ट्री पर भरोसा मत कीजिए पूरे डॉक्युमेंट्स होना ही असली सुरक्षा है।

Property का असली Owner बनने के लिए आवश्यक दस्तावेज

1. टाइटल डीड

यह कागज बताता है कि प्रॉपर्टी किस-किस के नाम से होते हुए आपके पास आई है यानी पूरी ओनरशिप हिस्ट्री।

  • पुराना मालिक कौन था, और अब किसके नाम है सब इसमें दर्ज होता है।
  • अगर टाइटल क्लियर है तो ही लोन, बिक्री या ट्रांसफर में दिक्कत नहीं होगी।

2. सेल डीड (बिक्री का एग्रीमेंट)

यह सबसे जरूरी डॉक्युमेंट है। इसी से साबित होता है कि आपने प्रॉपर्टी खरीदी है और मालिकाना हक आपके पास है।

  • इसमें खरीदार-बेचने वाले का नाम, कीमत, तारीख और प्रॉपर्टी की डिटेल होती है।
  • यह रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड होना जरूरी है।

3. प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें

यह दिखाता है कि प्रॉपर्टी का टैक्स समय पर भरा गया है या नहीं।

  • पिछला मालिक टैक्स भरता आ रहा है या नहीं, उसकी भी जानकारी मिलती है।
  • टैक्स बकाया होने पर ट्रांसफर या लोन में दिक्कत आ सकती है।

4. म्युटेशन सर्टिफिकेट

यह सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम पर प्रॉपर्टी दर्ज करने का सबूत होता है।

  • यह पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम से मिलता है।
  • ट्रांसफर, विरासत या संपत्ति विवाद में यह बहुत अहम डॉक्युमेंट होता है।

5. एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट

इससे यह साबित होता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, कोर्ट केस या लीगल अड़चन नहीं है।

  • बैंक से लोन लेने के लिए जरूरी होता है।
  • अगर पहले लोन था तो अन्य डॉक्युमेंट्स भी लग सकते हैं।

6. कंप्लीशन सर्टिफिकेट

जब निर्माण पूरा हो जाता है, तो ये सर्टिफिकेट दिखाता है कि काम दिखाए गए नक्शे के हिसाब से ही हुआ है।

  • इसे भी नगर निगम या स्थानीय प्राधिकरण जारी करता है।
  • इससे साबित होता है कि मकान ने सभी नियमों का पालन किया है।

7. बिल्डिंग प्लान की मंज़ूरी

जब भी आप कोई नया घर या बिल्डिंग बनवाते हैं, तो उसका नक्शा पहले स्थानीय नगर निकाय से पास करवाना पड़ता है।

  • अगर ये मंज़ूरी नहीं ली गई है, तो निर्माण को अवैध माना जाता है।
  • बाद में लोन लेना हो, प्रॉपर्टी बेचना हो या ट्रांसफर कराना हो तो बिना अप्रूव्ड नक्शे के मुश्किलें आ सकती हैं।

8. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट

यह सर्टिफिकेट बताता है कि अब घर में लोग रह सकते हैं यानी घर रहने के लायक है।

  • बिना इसके बिजली, पानी, सीवर कनेक्शन जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं।
  • रजिस्ट्रेशन और बैंक लोन के लिए भी जरूरी होता है।

9. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)

यह कई विभागों जैसे कि सोसाइटी, फायर विभाग, नगर निगम, बिजली विभाग आदि से लेना होता है।

  • ये सर्टिफिकेट बताता है कि किसी को इस प्रॉपर्टी से कोई आपत्ति नहीं है।
  • लोन या बिक्री के वक्त यह भी जरूरी हो सकता है।

10. पजेशन लेटर

जब बिल्डर या सेलर आपको घर सौंपता है, तो उसके लिए यह लेटर दिया जाता है।

  • इसमें बताया जाता है कि कब कब्जा दिया गया, और क्या शर्तें हैं।
  • यह अक्सर नई बिल्डिंग या फ्लैट्स में मिलता है।

11. खाता सर्टिफिकेट (Khata Certificate)

यह दस्तावेज़ साबित करता है कि आपकी प्रॉपर्टी स्थानीय निकाय में दर्ज है।

  • टैक्स भुगतान, नामांतरण या लोन के लिए जरूरी होता है।
  • इसे नगर निगम या पंचायत से प्राप्त किया जाता है।

12. बिल्डर का अलॉटमेंट लेटर

अगर आपने कोई फ्लैट या प्लॉट किसी बिल्डर से खरीदा है, तो उसके अलॉटमेंट का एक लेटर दिया जाता है जो बताता है कि प्रॉपर्टी आपको दी गई है।

13. भूमि उपयोग परिवर्तन सर्टिफिकेट (Land Use Certificate)

अगर जमीन पहले खेती के लिए थी और अब आप उस पर मकान या दुकान बनवाना चाहते हैं, तो उसके लिए सरकारी मंज़ूरी लेनी पड़ती है।

  • इसे नगर निगम या ग्राम पंचायत से लिया जाता है।
  • बिना इसके मकान बनवाना गैर-कानूनी माना जा सकता है।

14. बैंक रिलीज लेटर

अगर प्रॉपर्टी पर पहले कोई लोन था, तो बैंक से एक लेटर लेना जरूरी होता है जो बताए कि लोन खत्म हो गया है इसे ही बैंक रिलीज या नो ड्यू लेटर कहते हैं।

15. पॉवर ऑफ अटॉर्नी

यदि मालिक किसी अन्य व्यक्ति को अपनी जगह प्रॉपर्टी से जुड़े काम करने का अधिकार देता है, जैसे खरीदना-बेचना, रजिस्ट्री या दस्तावेजों पर साइन करना।

निष्कर्ष

सिर्फ़ रजिस्ट्री करा लेने से आप प्रॉपर्टी के असली मालिक नहीं बन जाते। इसके साथ सभी जरूरी दस्तावेज़ भी पूरे होने चाहिए जैसे सेल डीड, टाइटल डीड, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट, टैक्स रसीद, म्युटेशन, प्लान अप्रूवल, कंप्लीशन सर्टिफिकेट, NOC, खाता सर्टिफिकेट आदि। इन सब दस्तावेज़ों के बिना भविष्य में लोन लेने, संपत्ति बेचने, विरासत में देने या कोर्ट के मामलों में दिक्कत हो सकती है।

अस्वीकरण

यह लेख सिर्फ जानकारी के मकसद से लिखा गया है। इसमें बताए गए डॉक्युमेंट्स हर राज्य और प्रॉपर्टी की स्थिति के अनुसार अलग हो सकते हैं। सही सलाह के लिए हमेशा किसी रजिस्टर्ड वकील या रियल एस्टेट सलाहकार से संपर्क करें।

Leave a Comment